‘गणेश चतुर्थी’ यानी हर्ष और उल्लास का त्यौहार जो बड़े ही धूमधाम के साथ पूरे देश में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का त्यौहार प्रति वर्ष भाद्र पद के चतुर्थी तिथि को होता है। शिवपुराण अनुसार भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को मंगलमूर्ति भगवान गणेशजी का जन्म हुआ था। इसी के उपलक्ष्य में इस त्योहार को मनाया जाता है।
भगवान गणेश के जन्म को लेकर कई तरह की पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। एक पौराणिक कथा के मुताबिक माता पार्वती ने खुद के शरीर को हल्दी का लेप लगाया गया था। जब उन्होंने अपना लेप हटाया तो उन टुकड़ों से उन्होंने एक मूर्ति बनाई। इसके बाद उन्होंने उसमें प्राण डाल दिए। इस तरह से भगवान गणेश का जन्म हुआ। इसके बाद वे भगवान शिव और माता पार्वती के बेटे कहलाए जाने लगे। इसके अलावा भी उनके जन्म को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं।
गणेश चतुर्थी के बाद 10 दिन तक गणेशोत्सव मनाया जाता है। इस दौरान श्रद्धालु अपने घर में भगवान श्री गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं और पूरे दस दिन गणेश भगवान की पूजा करते हैं। श्रद्धालु नारियल, गुड़, मोदक, दुर्वा, घास और लाल गुड़हल के फूल मूर्ति को स्नेह के साथ समर्पित करते हैं।
बताया गया है कि भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और संपन्नता आती है। कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं, कहा जाता है कि व्रत रखने से भगवान गणेश खुश होते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। गणेशोत्सव के आखिरी दिन यानि अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति जी का विसर्जन किया जाता है।
बता दें, भगवान गणेश की पूजा करने के दौरान यह बात जरूर ध्यान रखें कि उन्हें तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है।
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