बिहार में मुजफ्फरपुर का बाबा गरीबनाथ मंदिर भक्तों के आस्था और विश्वास का केन्द्र है। मनोकामना लिंग के रूप में प्रचलित बाबा की महिमा की ख्याति बिहार ही नहीं बल्कि यूपी और पड़ोसी देश नेपाल तक पहुंच चुकी है। यही कारण है कि साल दर साल यहां आने वाले आस्थावानों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हो रहा है।
सैकड़ों साल पुराना है मंदिर
मंदिर के पुजारी और स्थानीय निवासियों की मानें तो मंदिर यहां कब से है इस बात की जानकारी किसी को भी नहीं है। लोगों के अनुसार बाबा गरीबनाथ का मंदिर कम से कम साढ़े तीन सौ साल पुराना तो है ही। मिले दस्तावेजों के अनुसार सन् 1812 ई. में भी इस स्थान पर छोटे मंदिर में बाबा की पूजा-अर्चना होती थी।
रहस्यमयी तरीके से प्रकट हुए थे बाबा गरीबनाथ
लगभग साढ़े तीन सौ साल पहले मुजफ्फरपुर शहर के मध्य में घना जंगल था। माना जाता है कि किसी जमींदार ब्राह्मण के कब्जे में इलाका था लेकिन जंगल बेचने के बाद जब सात पीपल के पेड़ में से अंतिम पेड़ की कटाई हुई तो बाबा प्रकट हुए। आज भी कुल्हाड़ी लगे बाबा का मनोकामना लिंग भक्तों के पूजा-अर्चना के लिए उसी स्वरूप में मौजूद है। साल 2006 में धार्मिक न्यास बोर्ड द्वारा अधिग्रहण करने के बाद मंदिर का आधुनिक स्वरूप सामने आया है।
ऐसे पड़ा नाम ‘गरीबनाथ’
इस शिवलिंग के ‘गरीबनाथ’ कहलाने की एक रोचक कहानी मिलती है। माना जाता है कि साल 1952 में एक बेहद गरीब व्यक्ति यहां अपनी बेटी की शादी में होने वाले खर्च को लेकर चिंतित मन से आया लेकिन जब वह यहां से लौटा तो उसके घर में विवाह के लिए जरूरी सभी सामानों की आपूर्ति अपने-आप ही हो गई। इस घटना के बाद इलाके में इस मंदिर को गरीबनाथ मंदिर के नाम से पहचाना जाने लगा और धीरे-धीरे इसकी ख्याति पूरे बिहार में फैल गई।
80 किमी पैदल चलकर आते हैं कांवरिए
बाबा गरीबनाथ शिवलिंग की ख्याति भक्तों में ‘मनोकामना लिंग’ के रूप है। सावन के महीने में विशेषकर सोमवार को सोनपुर के पहलेजा घाट से 80 किलोमीटर की दूरी तय कर लाखों कांवड़ियों का जत्था पवित्र गंगाजल से बाबा का अभिषेक करता है। देवघर की तर्ज पर बाबा गरीबनाथ धाम में भी डाक बम गंगा जल लेकर महज 12 घंटे में बाबा का जलाभिषेक करते हैं।
बिहार के धनी मंदिरों में से एक है गरीबनाथ का दरबार
बाबा गरीबनाथ मंदिर आय के मामले में बिहार में तीसरे स्थान पर है। मंदिर से होने वाली आय से डे केयर सेंटर,विकलांगों सेवा केन्द्र फिलहाल चला रहा है। शहर के बीचोबीच बाबा का मंदिर फिलहाल साढ़े चार कठ्ठे में फेला है।
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