माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा का विधान होता है। वसंत पंचमी को श्री पंचमी और ज्ञान पंचमी भी कहते हैं। इस दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। मां सरस्वती को विद्या, ज्ञान, वाणी, संगीत व बुद्धि की देवी माना जाता है और इस दिन देशभर में मां सरस्वती की वंदना की जाती है। साथ ही साथ पुस्तकों एवं कलम की पूजा भी करते हैं।
कामदेव की भी पूजा
वसंत पंचमी के दिन सिर्फ सरस्वती पूजन ही नहीं होता बल्कि इस दिन पितृ तर्पण भी किया जाता है और कामदेव की पूजा भी होती है। इस दिन पहनावा भी परंपरागत होता है। इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनने पर अधिक जोर दिया जाता है। वसंत पंचमी के दिन गायन-वादन के साथ अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं। माता सरस्वती को समस्त ज्ञान, साहित्य, संगीत और कला की देवी माना जाता है। शिक्षण संस्थाओं में वसंत पंचमी बड़े की धूमधाम से मनाई जाती है।
ऋतुओं का राजा बसंत
बसंत ऋतुओं का राजा माना जाता है। यह पर्व बसंत ऋतु के आगमन का सूचक है। इस अवसर पर प्रकृति के सौंदर्य में अनुपम छटा का दर्शन होता है। वसंत पंचमी का त्योहार हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है। यह पूजा पूर्वी भारत में बड़े उल्लास से की जाती है। स्वयं भगवान कृष्ण ने कहा है की ऋतुओं में मैं बसंत हूं।
जानें क्यों की जाती है बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा
मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। शास्त्रों एवं पुराणों कथाओं के अनुसार बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा को लेकर एक बहुत ही रोचक कथा है-
ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के प्रारंभ में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने मनुष्य की रचना की। लेकिन अपने सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे। उदासी से सारा वातावरण मूक सा हो गया था। यह देखकर ब्रह्माजी अपने कमण्डल से जल छिड़का। उन जलकणों के पड़ते ही पेड़ों से एक शक्ति उत्पन्न हुई जो दोनों हाथों से वीणा बजा रही थी तथा दो हाथों में पुस्तक और माला धारण की हुई जीवों को वाणी दान की, इसलिये उस देवी को सरस्वती कहा गया।
बेहद शुभ होता है बसंत पंचमी का दिन
सरस्वती को विद्या बुद्धि की देवी माना जाता है। इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन कोई नया काम करना शुभ माना जाता है।
पूजन विधि
प्रातःकाल उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पीले वस्त्र धारण करें। पूजा से पूर्व मां सरस्वती की प्रतिमा या चित्र को पूजा स्थान पर स्थापित करें। इसके बाद माता को फूल, माला चढ़ाएं। सरस्वती माता को सिंदूर और अन्य श्रृंगार की वस्तुएं भी अर्पित करें। वसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता के चरणों पर गुलाल भी अर्पित किया जाता है। देवी सरस्वती श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, इसलिए उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं। सरस्वती पूजन के अवसर पर माता सरस्वती को पीले रंग का फल चढ़ाएं। प्रसाद के रूप में मौसमी फलों के अलावा पीली बूंदी अर्पित करनी चाहिए। इस दिन सरस्वती माता को मालपुए और खीर का भी भोग लगाया जाता है। विधिवत पूजा करने के बाद अगरबत्ती, धूप व दीपक जलाएं और 108 बार सरस्वती मंत्र ‘ऊं ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः’ का जाप करें।
बुद्धि और ज्ञान की देवी मां सरस्वती
मां सरस्वती का संबंध बुद्धि से है, ज्ञान से है। यदि आपके बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लगता है, यदि आपके जीवन में निराशा का भाव है तो बंसत पंचमी के दिन मां सरस्वती का पूजन अवश्य करें।
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