एचडीएफसी एर्गो और एप्प्ल की भ्रामक योजना: उपभोक्ताओं के साथ लगभग ₹1,000 करोड़ का धोखा?

“India Gets Moving” पहल के तहत धोखाधड़ी का बड़ा खेल!

HDFC ERGO General Insurance और Apple ने मिलकर “India Gets Moving” नामक एक योजना चलाई, जिसके तहत लोगों को Apple Watch खरीदने और इसे HDFC ERGO की बीमा योजना से जोड़ने के लिए प्रेरित किया गया। इस योजना के तहत, उपयोगकर्ताओं को हर महीने एक निश्चित संख्या में कदम पूरे करने पर अंक मिलते थे, जिन्हें 12 महीनों तक कैश में बदला जा सकता था।

कैसे हुआ घोटाला?
इस पूरे मामले में Apple, HDFC ERGO, Zooper और Apple के आधिकारिक रिटेलर्स (Croma, Reliance Digital, Vijay Sales, Aditya Vision आदि) ने मिलकर उपभोक्ताओं को धोखा दिया। यदि हम गणना करें कि भारत के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में औसतन 2000 घड़ियाँ बेची गईं, तो यह संख्या 72,000 हो जाती है। यदि प्रति घड़ी की औसत कीमत ₹50,000 मानी जाए, तो कुल मूल्य ₹360 करोड़ होता है। हालांकि, वास्तविक आंकड़ा इससे कहीं अधिक हो सकता है और अनुमानित धोखाधड़ी ₹1,000 करोड़ के आसपास हो सकती है।

कैसे किया उपभोक्ताओं को ठगा?
लक्ष्य पूरा करने में विफलता पर भुगतान नहीं: कंपनियों ने यह मान लिया कि अधिकांश उपयोगकर्ता अपने मासिक लक्ष्य पूरे नहीं कर पाएंगे, जिससे उन्हें कैशबैक का भुगतान नहीं करना पड़ेगा।

शर्तों में बदलाव: शुरुआत में वादा किया गया था कि कैशबैक 5-7 दिनों में ट्रांसफर किया जाएगा, लेकिन बाद में इसे बिना किसी सूचना के 30 दिनों तक बढ़ा दिया गया।

बीमा पॉलिसी रद्द करना: अब HDFC ERGO उपयोगकर्ताओं की बीमा पॉलिसी यह कहकर रद्द कर रहा है कि उन्होंने “अनुचित तरीकों” का इस्तेमाल किया।

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Apple Watch की बिक्री बढ़ाना: इस योजना का असली मकसद Apple Watch की बिक्री बढ़ाना था। आखिर क्यों कोई ₹50,000 की घड़ी खरीदे, जब उसी फीचर्स वाली अन्य घड़ियाँ सस्ते में उपलब्ध हैं?

MRP पर बिक्री: इस योजना के तहत सभी घड़ियाँ MRP पर बेची गईं और ग्राहकों को रिटेलर्स द्वारा स्वयं योजना में शामिल किया गया।

निष्कर्ष और संभावित कार्रवाई
HDFC ERGO और Apple को इस पूरे मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। उन्हें या तो उपयोगकर्ताओं को उनकी योजना के अनुसार भुगतान करना चाहिए या फिर पूरे पैसे के साथ ब्याज सहित रिफंड देना चाहिए।

इसके अलावा, सभी सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स, जिन्होंने इस योजना को बढ़ावा दिया, उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि वे भी इस भ्रामक योजना का हिस्सा थे।

भारत सरकार और उपभोक्ता संरक्षण एजेंसियों को इस मुद्दे की गहराई से जांच करनी चाहिए और दोषी कंपनियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी दोबारा न हो।