कभी अपनी जरूरत पूरी करने के लिए बिजली के लिए बाजार में चिरौरी करने वाला बिहार पावर सेक्टर में सरप्लस स्टेट हो गया है। यही नहीं अब बिजली के बाजार में विक्रेता भी बन गया है। अपनी जरूरत पूरी करने के बाद वह सरप्लस बिजली बाजार में बेच रहा है। इससे उसके घाटे में भी कमी आ रही है।
बिहार इस समय रोजाना एक से डेढ़ करोड़ की बिजली बाजार में बेच रहा है। इससे न केवल उसका रोजाना होने वाला घाटा कम होगा, बल्कि बिजली उपभोक्ताओं को भी राहत मिलेगी। इसका सीधा असर भविष्य में बिजली की बढ़ती कीमतों पर भी होगा। माना जा रहा है बाजार से मिलने वाली धनराशि के कारण बिहार में बिजली की कीमतें नियंत्रित होंगी। बिजली उपभोक्ताओं पर टैरिफ का अधिक भार नहीं पड़ेगा।
जरूरत से अधिक बिजली होने पर बाजार जाना स्वाभाविक है। आज बिहार में हर जगह बिजली है। भविष्य की जरुरतों को लेकर भी हमारे पास पूरा रोडमैप तैयार है। हम अपनी जरूरत पूरी करने के बाद शेष बिजली बाजार को देंगे। उससे किसी और की जरूरत पूरी होगी।
बिजेंद्र प्रसाद यादव, ऊर्जा मंत्री
इस समय बिहार का केन्द्रीय कोटा 7000 मेगावाट से अधिक हो गया है। इसमें एनटीपीसी के थर्मल पावर, एनएचपीसी के हाइड्रोपावर के अलावा सौर ऊर्जा व विंड पावर और अन्य पावर प्लांट से मिलने वाली बिजली शामिल है। सामान्यत: बिहार की बिजली मांग रोजाना औसतन 5000-5500 मेगावाट रहता है। जबकि उसकी अधिकतम जरूरत 6500 मेगावाट के आसपास है।
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