लोकल से ग्लोबल हुआ छठ, गांव से अमेरिका पहुंचा …! जी हां देश छूट जाता है पर परंपराएं नहीं छूटतीं। परंपराओं की कडिय़ां देश और वहां की संस्कृति से जुड़ाव बनाए रखती हैं। आज बेहतर करिअर की तलाश में बड़ी संख्या में लोग विदेशों में जा बसे हैं पर उन्होंने अपनी परंपराओं को जीवित रखा है।
दूर देश में भी जीवित है परंपरा
छठ पूजा जिस आस्था के साथ अपने यहां मनाई जाती है, सात समंदर पार भी लोग इस महापर्व को उतनी ही के साथ मनाते हैं। अमेरिका में भी छठ मनाया जा रहा है। वहां की राजधानी वाशिंगटन के उपनगर वर्जीनिया के स्टर्लिंग में पोटोमैक नदी के किनारे सैकड़ों भारतीय छठ पूजा कर रहे हैं। पोटोमैक नदी पर छठ मनाने की कहानी 2009 में शुरू हुई।
तुम जहां हो वहीं मनाओ छठ, वर्जीनिया में इस तरह शुरू हुई छठ पूजा
परंपरा की लौ बुझनी नहीं चाहिए, बेटे तुम अगर सच्चे बिहारी हो तो जहां हो वहीं पर छठ पूजा मनाओ। ये बातें पटना निवासी कृपा सिंह को उनकी मां ने कही थी। कृपा अमेरिका के वर्जीनिया में साफ्टवेयर इंजीनियर हैं। हर साल छठ के मौके पर घर आते थे। 2009 में इन्हें ऑफिस से छुट्टी नहीं मिल सकी। मां का निर्देश मिलने के बाद कृपा ने वर्जीनिया में ही परंपरागत तरीके से छठ मानने का निश्चय किया। काफी खोजबीन के बाद उन्होंने पोटोमैक नदी किनारा छठ पूजा के लिए उपयुक्त लगा। यहां छठ आयोजन के लिए उन्होंने अधिकृत संस्था ‘लौडन काउंटी पाक्र्स एंड रिक्रिएशन डिर्पाटमेंटो से अनुमति ली। इस तरह वर्जीनिया में पोटोमैक के किनारे 2009 में छठ पूजा की शुरूआत हुई। पहली बार कृपा सिंह की पत्नी ने भारतीय मूल के चार लोगों के परिवार के साथ छठ पूजा की। कारवां बढ़ता गया और लोग जुड़ते चले गए। पिछले साल यहां छठ मनाने के लिए सौ से अधिक लोग जमा हुए। आज वर्जीनिया में छठ पूजा ने भव्य रूप ले लिया है। आसपास के इलाकों से भी भारतीय मूल के परिवार यहां छठ मनाने आते हैं।
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